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Brahmakumaris Bhilai

शिवधाम तालाब परिसर में अनोखा प्राणायाम कर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरआत की…

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जीवन की  निगेटिविटी एवं अवगुणों को  सांसो द्वारा छोड़ते हुए बाहर निकाला
जो मन में बात रहती है उसका प्रभाव वायुमंडल में पड़ता है, इसलिए व्यर्थ से दूर रहो…
शिवधाम तालाब परिसर में अनोखा प्राणायाम कर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरआत की…
 18 जून 2023, भिलाई:-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में “आओ योग द्वारा तन-मन, प्रकृति को शुद्ध बनाओ” प्रकृति के बीच सेक्टर 7 स्थित शिवधाम तालाब परिसर में सूर्योदय के साथ राजयोग मेडिटेशन, एक्सरसाइज, विभिन्न आसन तथा अनोखा प्राणायाम का अभ्यास करके मनाया गया।
सभी ब्रह्मा वत्सो ने जीवन की  निगेटिविटी एवं अवगुणों को  सांसो द्वारा छोड़ते हुए बाहर निकाला तथा पॉजिटिविटी, गुण विशेषताओं, शक्तियों को शुद्ध ताजी हवा को लम्बे लम्बे स्वांस के रूप में ग्रहण कर इस अनोखे प्राणायाम का अभ्यास किया। तथा संगठित रूप से राजयोग मेडिटेशन द्वारा विश्व के समस्त मनुष्य आत्माओं तथा प्रकृति के पांचों तत्वों को शांति के प्रकंपन  प्रवाहित की किए। तालाब परिसर के मध्य कमल आसन पर पिताश्री ब्रह्मा बाबा तथा हंसासन पर विराजित मातेश्वरी जगदम्बा अपने गुणों शक्तियों को सभी में समहित करने की प्रेरणा दे रहे थे।
तत्पश्चात पीस ऑडिटोरियम में प्रातः राजयोग सत्र के पश्चात मम्मा सम बनू पवित्र योग तपस्या कार्यक्रम का तीसरा सप्ताह “पवित्र वृति द्वारा श्रेष्ठ कर्म”  प्रारंभ हुआ।
जिसके बारे में भिलाई  सेवा केंद्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा की भगवान का बनना विशेषता है लेकिन भगवान जिसका बने वह महान है।   जीवन में कभी हीनता की भावना न आए। मैं विशेष हूं, अभिमान वाला मैं नहीं मैं विशेष प्रभु प्रिय हूं।
  गुण, शक्तियों के ज्ञान रत्नों से जीवन का श्रृंगार कर समय पर पवित्र वृति से श्रेष्ठ कर्म का महत्व है।
 वृति से दृष्टि और दृष्टि से सृष्टि का परिवर्तन होता है।
स्व उन्नति में पहले मैं अर्थात जो ओटे सो अर्जुन माना अलौकिक सारथी परमात्मा का साथ।
  पररखने की शक्ति व निर्णय शक्ति से विशाल हंस बुद्धि बनो। न व्यर्थ सुनो, न देखो, न पढ़ो, न वर्णन करो न सोच कर प्रकृति में फैलाओ।
  जो मन में बात रहती है उसका प्रभाव वायुमंडल में पड़ता है।
बातों से भावनाएं बदलती है इसलिए व्यर्थ बातों से दूर रहो।
 हम मनुष्य आत्माओं में रूहानियत हो,सर्व के प्रति निस्वार्थ रहम व कल्याण की भावना हो।