Brahmakumaris Bhilai
जीवन में दुविधा द्वंद न हो, तब परमात्म शक्तियों की अनुभूति होगी

सबसे बड़ी शक्ति है स्वयं को परिस्थितियों में एडजस्ट करने की शक्ति…राजयोगी राजू भाई माउंट आबू
जीवन में दुविधा द्वंद न हो, तब परमात्म शक्तियों की अनुभूति होगी…
भिलाई15जुलाई 25,छ.ग:-जितना अधिक लोगों की बातों को सुनेंगे उतना ही मन की उलझन बढ़ेगी इसीलिए भगवान की सुने। दुनिया बहुत समझदार है उसकी बातों में अपने मन की शक्ति को व्यर्थ ना गवाएं। नाम मान शान की कामना रखना अर्थात कच्चा फल खाना।हमारी चिन्तन धारा को सकारात्मक बनाना है।
यह बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से आए वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार राजू भाई ने दो दिवसीय योग तपस्या कार्यक्रम अंतिम समय कि तैयारी विषय पर कही।
आगे आपने कहा कि आर्थिक, मानसिक,पारिवारिक,शारीरिक, परिस्थितियों रूपी पेपर तो सभी के जीवन में आएंगे ही, हमारी आत्मिक स्थिति को ज्ञान और योग से मजबूत करनी है।
समय के महत्व को जान किसान सही समय पर बीज होता है तो फसल की प्राप्ति होती है।समय बड़ा मूल्यवान है,समय की कद्र करे।
कर्म,विकर्म की गुह्य गति को समझ सदा श्रेष्ठ कर्म करने हैं, श्रेष्ठ पुरुषार्थ के आधार पर ही हमारी श्रेष्ठ प्रालब्ध बनती है।
स्वास्तिक अर्थात स्व की श्रेष्ठ स्थिति का आसान स्वयं को देह को चलाने वाली चैतन्य शक्ति आत्म निश्चय समझ कर कर्म करो यह पहला अभ्यास है।
मैं आत्मा देह से न्यारी हूं यह शुद्ध संकल्प हमें शक्तिशाली निर्भय बनाता है।
दूसरों के कमी कमजोरी रूपी दाग स्पष्ट दिखाई देते हैं लेकिन आत्म चिंतन द्वारा स्वयं के दाग कमजोरियों कमियों को देखने का समय निकालना है।
सबसे बड़ी शक्ति है स्वयं को परिस्थितियों में एडजस्ट करने की शक्ति।
यदि किसी को शिक्षा देनी है तो क्षमा करना सीखो, यह सब निर्दोष है ऐसी ऊंची भावनाएं, धारणा होगी तो स्वयं के साथ हम दूसरों को भी परिवर्तन कर सकते हैं।
जीवन में दुविधा द्वंद न हो, तब परमात्म शक्तियों की अनुभूति होगी…
ब्रह्माकुमारीज़ दो दिवसीय योग तपस्या कार्यक्रम
भिलाई,16जून25,छ.ग:- साइंस के साधनों को धन्यवाद,विज्ञान के साधन बहुत अच्छे है। समझ,महसूसता द्वारा साइंस के साधनों का उपयोग करते हुए साधना तपस्या करनी है। तब साइंस के ऊपर साइलेंस(मौन) की शक्ति की विजय होगी।
यह बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से आए वरिष्ठ राजयोगी ब्रह्माकुमार राजू भाई ने दो दिवसीय योग तपस्या कार्यक्रम अंतिम समय कि तैयारी विषय पर कही।
इस संसार में निर्भय निश्चिंत वह रह सकता है,जो सृष्टि पर हरेक के पार्ट को साक्षी होकर देखता है।
अधिक सोचने से हमारी शक्तियां नष्ट होती है।क्या हुआ,क्यों हुआ कब हुआ इन क्यू की माला को छोड़ जो आवश्यक है उतना ही सोचे।
मन बुद्धि शांत स्वच्छ और स्थिर हो जीवन में दुविधा द्वंद न हो, तब परमात्म शक्तियों की अनुभूति होगी।
आपने संस्कार,आहार एवं डिजिटल साधन के टॉक्सिन (जहरीले पदार्थ) एवं डिटॉक्स (हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया) के बारे में बताया कि शुद्ध संस्कारो के लिए शुद्ध आहार आवश्यक है।
आज भोजन में चटपटा तला भोजन पसंद किया जाता है,जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है, ऐसे ही दूसरों की परचिंतन की बाते न सुननी है न सुननी है।
आत्म उन्नति सुखी जीवन के लिए स्वचिंतन आवश्यक है,जिसके लिए आपने सभी को 15 दिन का होमवर्क भी दिया की सभी परचिंतन,परदर्शन (कौन क्या कर रहा है) से मुक्त रहेंगे।
दो दिवसीय योग कार्यक्रम “अंतिम समय कि तैयारी” में ब्रह्मवत्सो ने संगठित रूप से राजयोग मेडिटेशन द्वारा प्रकृति के पांचों तत्वों सहित विश्व में शांति के प्रकंपन प्रवाहित किए।
https://bksparc.in/scientific-spiritual-research
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