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Ujjain Simhasth 2016

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राजयोग के लिए स्वयं की पहचान जरूरी … ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी

रायपुर, २७ अप्रैल: राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने कहा कि राजयोग के लिए स्वयं की पहचान जरूरी है। राजयोग से जीवन में स्थायी खुशी प्राप्त की जा सकती है। किन्तु मनुष्य खुशी को भौतिक पदार्थों में ढूँढ रहे हैं। भौतिक पदार्थों से स्थायी खुशी नही मिल सकती है।
विद्या दीदी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में आयोजित पांच दिवसीय राजयोग अनुभूति शिविर में बोल रही थीं।
ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने आगे कहा कि किसी भी मनुष्य के जीवन में खुशी और शान्ति उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति होती है। जिसे पाने के लिए वह पूरी जिन्दगी प्रयास करता है। इसीलिए कहा जाता है कि खुशी जैसी खुराक नहीं। जब मनुष्य की खुशी भौतिक वस्तुओं पर आधारित होती है तो वह खुशी अल्पकालिक हो जाती है।
उन्होंने कहा कि जब तक यह नहीं जानें कि मन क्या चीज है? खुशी की अनुभूति कौन करता है? खुशी को महसूस करने वाली चीज कौन सी है? तब तक हम खुशी का अनुभव नहीं कर पाएंगे। हम सारे दिन में अनेक बार मेरा हाथ, मेरी आँखें, मेरा मन आदि शब्दों का प्रयोग करते हैं क्योंकि हम उनके मालिक हैं। मन ही वह शक्ति है जो खुशी को महसूस करती है। जिसे न जानने के कारण मनुष्य उस पर नियंत्रण नहीं रख पाता और तनावग्रस्त हो जाता है।
ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने बतलाया कि मनुष्य खुशी को बाहरी चीजों में ढूँढता है। जबकि खुशी उनके ही पास है, उसे अनुभव करने के लिए आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विचारशक्ति का ही नाम मन है। संकल्प शक्ति बहुत बड़ा खजाना है। एक संकल्प किसी को खुशी दे सकता है तो वहीं एक संकल्प किसी की खुशी छिन भी सकता है।
उन्होंने कहा कि आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति राजयोग से ही की जा सकती है। इसे राजयोग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह हमको कर्मेन्द्रियों का राजा बनाता है। स्वयं पर नियंत्रण करना सिखलाता है। इससे आत्म विश्वास भी बढ़ता है। मन में खुशी और शान्ति होने से इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। विभिन्न प्रयोगों से यह सिद्घ हो चुका है कि मन की अवस्था का रोगों के साथ गहरा सम्बन्ध है।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला, प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज,

Secret about Supreme Soul(BK Prachi, Rajyoga Teacher, Bhilai

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जीवन रूपी युद्ध भूमि पर विजय प्राप्त करने की कला ही राजयोग…

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(तनाव मुक्ति शिविर एक नई उड़ान का पांचवा दिन)
जीवन रूपी युद्ध भूमि पर विजय प्राप्त करने की कला ही राजयोग…
(तनाव मुक्ति शिविर एक नई उड़ान का पांचवा दिन)
भिलाई,3 जून 2023:- 30 मई से प्रारंभ ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित “तनाव से मुक्ति”एक नई उड़ान शिविर के पांचवें दिन बिलासपुर से पधारी मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि
आज मनुष्य मन की शांति के लिए इधर-उधर भटक रहा है पर वास्तव में शांति हमारा निजी संस्कार है इसके लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं।
स्वयं परमात्मा द्वारा बताये गये सृष्टि चक्र के ज्ञान को स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान समय सृष्टि एक वैश्विक परिवर्तन की ओर खड़ी है जिसमें भारत पुनः विश्व गुरु बनने जा रहा है ऐसे में अगर हम इस परिवर्तन के निमित्त बन जाए तो यह हमारा कितना सौभाग्य होगा।
तत्पश्चात महाभारत में वर्णित ‘अर्जुन का युद्ध भूमि में श्रीकृष्ण को अपना सारथी चुनने’ के सुन्दर वृतांत का आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए कहा कि जिस तरह मात्र 5 पांडवों ने 100 कौरवों की सेना पर जीत पाई क्यूंकि उनके सारथी स्वयं श्रीकृष्ण थे, ठीक उसी भांति आप भी उन मुट्ठी भर लोगों में से हैं जो इस मुक्तिधाम में उपस्थित हुए हैं और परमात्मा का सत्य परिचय प्राप्त कर रहे हैं।
कहा जिस तरह ‘अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा था कि वे जानते हैं कि धर्म क्या है पर उस पर चलने की ताकत नहीं है’ उसी तरह आज सभी मनुष्य आत्माओं की भी यही मन: स्थिति है क्यूंकि परमात्मा की सत्य पहचान व उनसे यथार्थ सम्बंध नहीं है अतः  उन्हें यथार्थ रूप से पहचान उनके निर्देशों पर चलना वा अपने जीवन रूपी युद्ध भूमि पर विजय प्राप्त करने की कला ही राजयोग हमें सीखाता है।
तत्पश्चात कैसे सर्व धर्मों में एक निराकार परमात्मा की ही मान्यता है यह बताते हुए उनका स्पष्ट परिचय दिया।
 एक गृहस्थ व्यक्ति का हास्यजनक उदाहरण देते हुए बताया कि ‘एक व्यक्ति ने कहा मेरे घर में शांति है पर मेरे मन में शांति नहीं है! किसी के पूछने पर की ऐसा कैसे हो सकता? तो व्यक्ति ने कहा की शांति मेरी धर्मपत्नी का नाम है जो मेरे घर में अशांति मचाती है इसलिए मेरे घर में शांति है पर मेरे मन में शांति नहीं है।’ इस तरह हंसी-खेल में बड़ी ही मूल्यवान बात बतायी कि आज किसी भी व्यक्ति का नाम कर्तव्य-वाचक नहीं है पर केवल एक निराकार परमात्मा का नाम ही कर्तव्य-वाचक है। यह  कहते हुए भारत में प्रसिद्ध 12 शिव ज्योतिर्लिंगों के 12 कर्तव्य वाचक नामों को स्पष्ट किया।
अंत में 2 मिनट राजयोग मेडिटेशन का सुंदर अभ्यास कराते व वरिष्ठ राजयोगिनी आशा बहनजी द्वारा ‘मैं परमात्मा का बच्चा हूं’ यह अवगत कराते इस पर एक संक्षिप्त अनुभव साझा किया और सत्र को पूरा किया।

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अपने जीवन में दूसरों की बातों को सुनकर निर्णय न लें,आपसी संबंध मधुर बनाएं…

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(“तनाव मुक्ति शिविर_एक नई उड़ान” का चौथा दिन)  

अपने जीवन में दूसरों की बातों को सुनकर निर्णय न लें,आपसी संबंध मधुर बनाएं…..

                 (“तनाव मुक्ति शिविर_एक नई उड़ान” का चौथा दिन)

2 जून 2023,भिलाई:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय राजयोग भवन

 द्वारा रामनगर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला मुक्तिधाम स्कूल में

 प्रारम्भ “तनाव मुक्ति शिविर” के चौथे दिन  बिलासपुर से पधारी वरिष्ठ राजयोग

 शिक्षिका तथा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्थापित योग आयोग की प्रथम महिला सदस्य ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने  सम्बन्धो मे मधुरता विषय पर बताते हुए कहा की परमात्मा मेरा पिता है, बस राजयोग द्वारा उससे बच्चे के रूप मे सम्बन्ध जोड़ना है | तब हमारे संस्कारों में परिवर्तन प्रारंभ होता है |

आपने वर्तमान में आपसी सम्बन्धो में कड़वाहट का मुख्य कारण बताया की लोग बातों में मिर्च मसाला डालने का काम करते हैं,अपने जीवन में दूसरों की बातों को सुनकर निर्णय न लें| आपसी संबंध मधुर बनाएं| एक परिवार का  उदाहरण देते हुए आपने  बताया  कि हम लोगों के दिल नहीं टूटते हैं, भले आपसी विचारों में एकता ना हो लेकिन दिल से जुड़े हुए हैं|

 परचिन्तन परदर्शन से मुक्त होकर क्यों क्या कि क्यू (लाइन) को समाप्त करो|जिस रंग का चश्मा उसी रंग की दुनिया दिखती है, तो हमने लोगों के अवगुणों को देखने का चश्मा लगाया है जिससे हमें तनाव होता है |

हमें गुण विशेषता देखने का चश्मा धारण करना है, गुण विशेषताओं को देखने से तनाव मुक्त रहेंगे| सभी मैं कुछ न कुछ विशेषताए अवश्य है | हमें स्वयं को बदलना है,दूसरों को नहीं | तब हमें देख दूसरों को बदलने की प्रेरणा मिलेगी|स्मृति से ही हमें शक्ति मिलती है,परमात्मा के बच्चे हैं,यह स्मृति सदा रहे| इसी स्मृति केसाथ निर्संकल्प होकर सोये | अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य एवं तनाव मुक्त जीवन के लाभदायक है|

“वन गॉड वन वर्ल्ड फैमिली” का संदेश देकर महाशिवरात्रि पर्व मनाया गया

https://youtu.be/3UiM0LHi5hw

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अपनी शक्तियों को पहचान ले तो असंभव कार्य भी कर सकते है …मंजू दीदी 

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 (“तनाव मुक्ति शिविर_एक नई उड़ान”  का तीसरा दिन) 

अपनी शक्तियों को पहचान ले तो असंभव कार्य भी कर सकते है …मंजू दीदी

(“तनाव मुक्ति शिविर_एक नई उड़ान”  का तीसरा दिन)

 

1 जून 2023,भिलाई:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय राजयोग भवन

द्वारा रामनगर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला मुक्तिधाम स्कूल में

प्रारम्भ “तनाव मुक्ति शिविर” के तीसरे दिन बिलासपुर से पधारी वरिष्ठ  राजयोग शिक्षिका तथा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्थापित योग आयोग की प्रथम महिला सदस्य ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने मनोबल आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय बताएं|

आपने कहा की राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से मन की सुशप्त शक्तियां जागृत होती है|

साधारण लोगों की मन की 5% शक्तियां कार्य करती है, तो महान व्यक्तियों की 10%  शक्तियां कार्य करती है, यदि व्यक्ति अपनी शक्तियों को पहचान ले तो वह बडे सा बड़ा असंभव कार्य भी कर सकता है|

आपने न्यूटन के सिद्धांत के द्वारा बताया कि हर क्रिया की समान और विपरीत क्रिया होती है इसीलिए हमें बहुत सोच समझकर सही और श्रेष्ठ कर्म करने है|

तनाव के समय हमें एक-एक पल भारी लगता है, जो मिलेगा उसे जीवन का दुखड़ा सुनाने लग जाते हैं लेकिन हमारा दुख कोई सुनना नहीं चाहता|

जीवन में खुश रहना और खुशी बांटना एक कला है, जैसे मोबाइल का स्टोरेज फुल हो जाता है तो उसमें से पुराना और अनवांटेड चीजें डिलीट करते हैं तो स्पेस खाली होता है और मोबाइल ठीक से कार्य करता है ठीक उसी प्रकार मन से भी वेस्ट, निगेटिव  विचारों, पुरानी बातों को सदा के लिए डिलीट करो खुश रहो तनाव मुक्त रहो|

CISF (RTC _Regional Training Centre) Rajyoga Meditation Program

https://www.youtube.com/watch?v=67Kr8nfBhUY

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